Natarang Pratishthan Documentation Catalogue
Searching for "इब्राहिम अलकाज़ी" ... - Books (41)
Displaying records 11 - 15 of 41. Serial No: 11 Title: नई चेतना और हिन्दी नाटककार Writer/Editor: जयदेव तनेजा Publisher/Place: तक्षशिला, दिल्ली Year: 16/06/1905 Source/Accession No: दिल्ली पब्लिक लाईब्रेरी/690360 Description/Notes: पृ.- 16, 28 नये रंग आन्दोलन के सुशिक्षित, कुशल, निर्देशक के रूप में इब्राहिम अलकाज़ी का उल्लेख। पृ.- 28 इब्राहिम अलकाज़ी का अंधायुग को सम्पूर्ण रंगमंचीय नाटक मानने वाले रंगसमीक्षक के रूप में उल्लेख। पृ.- 264, मूल्य- 200/- Director/Actor being documented: इब्राहिम अलकाज़ी
Serial No: 12 Title: हिन्दी नाटक: आज कल Writer/Editor: जयदेव तनेजा Publisher/Place: तक्षशिला, दिल्ली Year: 22/06/1905 Source/Accession No: दिल्ली पब्लिक लाईब्रेरी/339131 Description/Notes: पृ.- 217, 205 इब्राहिम अलकाज़ी द्वारा अपने चैदह वर्षों के सन्यास के बाद 2, 3 जनवरी, 1992 को रा.ना.वि. रंगमंडल के साथ गिरीश कर्नाड के कन्नड़ नाटक् ’तले दंड’ के रामगोपाल बजाज कृत अनुवाद की प्रस्तुति का उल्लेख। पृ.- 205 धर्मवीर भारती के ’अंधायुग’ में इब्राहित अलकाज़ी द्वारा जापान की काबुकी शैली के प्रयागे द्वारा इसका रूप बदलने का उल्लेख। पृ.- 224, मूल्य- 300/- Director/Actor being documented: इब्राहिम अलकाज़ी
Serial No: 13 Title: हिन्दी रंगकर्म: दशा और दिशा Writer/Editor: जयदेव तनेजा Publisher/Place: तक्षशिला, दिल्ली Year: 10/06/1905 Source/Accession No: साहित्य अकादमी/3777 Description/Notes: पृ.- 357। संदर्भ पृ.- 157, 212, 247, 248, 249, 21, 310, 311, 312, 325, 332, 335, 346। मूल्य- 150/- Director/Actor being documented: इब्राहिम अलकाज़ी
Serial No: 14 Title: मनोहर सिंह Writer/Editor: /जयदेव तनेजा Publisher/Place: राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय, दिल्ली Year: 25/06/1905 Source/Accession No: न.प. Description/Notes: पृ.- ग्प्ट (भूमिका): पुस्तक के चैथे खंड में शीर्षक ’मुझे याद है सब उसी तरह........’ में इब्राहिम अलका़जी जयदेव तनेजा आदि के संस्मरणात्मक आलेख सम्मिलित होन का उल्लेख। अलकाज़ी ने त्रिवेणी की अपनी कलादीर्घा ‘आर्ट हैरिटेज’ में मनोहर सिंह की मुँह बोलती नाटकीय तस्वीरों की प्रदर्शनी आयोजित की। पृ.- 37 (परिचय): मनोहर सिंह द्वारा अलकाज़ी को गरू मानने का उल्लेख। पृ.- 46 (मेरी बात): मनोहर सिंह के अनुसार अलकाज़ी ने उन्हें औथेलो का रोल दिया। पृ.- 47 (मेरी बात): तुगलक के दो वर्शन अलकाज़ी द्वारा खुद करने का मनोहर सिंह द्वारा उल्लेख। पृ.- 48 (मेरी बात): मनोहर सिंह के अनुसार अलकाज़ी के साथ चार पाँच नाटक करने का उन्हें अवसर मिला। पृ.- 55 ( मैं सौ प्रतिशत निद्रशक का अभिनेता हूँ- इनेक्ट से बातचीत- मनोहर सिंह के अनुसार अलकाज़ी बहुत बुद्धिजीवी अध्यापक होने के साथ-साथ बहुत अच्छे दुभाषिये भी। प्रत्येक चरित्र को वह नाटक के पूरे परिप्रेक्ष्य में विस्तार से व्याख्यायित करने हैं। पृ.-67 (मैं सौ प्रतिशत निद्रशक का अभिनेता हूँ): मनोहर सिहं के अनुसार अलकाज़ी बहुत सहायक सिद्ध होते है। वे अभिनेता को स्वयं अभिनय अभिनय कर दिखाते जिससे वह चरित्र को उभार सके। अलकाज़ी अपवाद हैं, जीनियस हैं। पृ.- 69 (मैं सौ प्रतिशत निद्रशक का अभिनेता हूँ): मनोहर सिंह के मत से अलकाज़ी की अनुपस्थिति में तुगलक नाटक उतना सफल न हो सका। पृ.- 70 (मैं सौ प्रतिशत निर्देशक का अभिनेता हूँ): मनोहर सिंह के अनुसार अलकाज़ी ही थे जिन्होंने लोक नाट्य के विशेषज्ञ को छात्रों के साथ काम करने के लिए बुलाने की परम्परा आरम्भ की। रा.ना.वि. में अलकाज़ी के निद्रशक बनने के बाद दिल्ली में बहुत से भारतीय नाटक खेलने का उल्लेख। पृ.- 89 (अभिेनेता को मार कर रंगमंच जिन्दा नहीं रह सकता): मनोहर सिंह के अनुसार अलकाज़ी ने आश्वस्त किया कि घैर्य रखें तो जटिल और कठिन चरित्र की भूमिका निभा सकते हैं। पृ.- 91 (अभिनेता को मार कर रंगमंच जिन्दा नहीं रह सकता): सूय्र मुख मूें अलकाज़ी ने खुद काफी मेहनत की पर प्रस्तुति असफल रहने का उल्लेख। पृ.- 133 (एक बाकमाल अभिनेता और लाजवाब व्यक्ति): मनोहर सिंह का अभिनेता व्यक्तित्व का वास्तविक परिसंस्कार इब्राहिम अलकाज़ी के सानिध्य में होने का उल्लेख। पृ.- 160 (मनोहर सिंह अभिनीत नाटक और भूमिकाएँ): अलकाज़ी के निर्देशन में रा.ना.वि. रंगमण्डल द्वारा मनोहर सिंह ने 1969 में औथेलो नाटक में ‘औथेलो’ 1971 में लक्ष्मी नारायण लाल के सूर्यमुख नाटक में व्यास पुत्र, 1973 में जार्ज बुखनर के नाटक दान्तोज डैथ में ‘दाँतों’ इसी वर्ष गिरीश कर्नाड के नाटक तुगलक में ‘तुगलक’ 1974 में जाॅन आस्वर्न के नाटक लुक बैक इन एंगर में ‘जिम्मी पोर्टर’ और फिर इसी वर्ष धर्मवीर भारती के नाटक अंधायुग (पुराना किला) में कोरस गायक, 1977 में वसन्त कानेटकर के नाटक ‘जाग उठा है रायगढ़’ में ‘शिवा जी’ 1982 में तुगलक नाटक में तुगलक की भूमिकाएँ की। 1976 में मौलियर के नाटक बीबियों का मदरसा में शौकत अली की भूमिका निभाने का उल्लेख भी है। पृ.- ग्ट 164, मूल्य- 175/- Director/Actor being documented: इब्राहिम अलकाज़ी
Serial No: 15 Title: रंग साक्षात्कार Writer/Editor: जयदेव तनेजा Publisher/Place: किताबघर, दिल्ली Year: 23/06/1905 Source/Accession No: न.प./1805 Description/Notes: पृ.- 83-85 (पूरी दुनियाँ में अच्छे नाटककारों की कमी): अलकाज़ी के संक्षिप्त जीवन परिचय और कृतित्व का उल्लेख। रंगमंच से चैदह वर्ष के सन्यास के बाद थिएटर में वापसी की पृष्ठभूमि और प्रमुख कारण पूछने पर अलकाज़ी ने बताया कि थिएटर की मौजूदा हालत जानने के बाद थिएटर और एन.एस.डी. से अपने को अलग रखना उन्हें अपराध सा लगने लगा और इसीलिए रंगमंडल की रजत जयन्ती के अवसर पर नाटक करने का निमंत्रण सहर्ष स्वीकार लिया। पृ.- 86 (पूरी दुनियाँ में अच्छे नाटककारों की कमी): अलकाज़ी के मत से रा.ना.वि. रंगमंडल में अनेक कलाकार बहुत अच्छे हैं पर अधकचरे ज्ञान वाले तथा कथित ‘विशेषज्ञों ने रंगमंच का बहुत नुकसान किया साथ ही समुचित व्यवस्था और अनुशासन की कमी है। हमारे यहाँ राष्ट्रीय रंगमंडल होना चाहिए जो भारतीय भाषाओं के उत्कृष्ट नाट्य प्रदर्शनों का नियमित और निरन्तर प्रदर्शन करता रहे। अलकाज़ी के अनुसार थिएटर में न तो कोई कैरियर है, न पैसा। परन्तु वह जीवंतता और सुख देता है। पृ.- 87 (पूरी दुनियाँ में अच्छे नाटककारों की कमी): अलकाज़ी के मत से रा.ना.वि. ने अपनी जिद के कारण रंगमंडल के नए कलाकारों को श्रेष्ठ कलाकारों के साथ काम करने से वंचित रखा। अलकाज़ी के अनुसार नया नाटक ‘तले दण्ड’ का अनुवाद रक्त कल्याण प्रस्तुति के लिए अधिक उपयुक्त और ‘दिन के अंधेरे’ में महिला कलाकारों को अभिनय का अधिक अवसर। विदेशों में अधिकतर चमत्कार पैदा करने वाले व संगीत प्रधान नाटकों ने उन्हें प्रभावित नहीं किया। पृ.- 88 (पूरी दुनियाँ में अच्छे नाटककारों की कमी): अलकाज़ी के मत से ‘मेघदूत’ छात्रों के श्रमदान से बना। ‘मेधदूत’ को तोड़ने का निर्णय गलत और सभी को विरोध करना चाहिए। पृ.- 144 (रंगमंच के विकास के बिना देश मर जाता है ): ब्रज मोहन शाह के अनुसार अलकाज़ी वगैरह कई अभिनेता निद्रशक हैं जिन्होंने अपनी प्रस्तुतियो के साथ-साथ पूरा न्याय किया। अलकाज़ी के साथ ब्रज मोहन शाह ने अभिनय नहीं किया। किन्तु उन्हे नजदीक से काम करतेे देख ही थियेटर का वास्तविक एहसास हुऔ। सम्पूर्ण हिन्दी रंगमंच को अलकाज़ी की देन महत्वपूर्ण है। पृ.- 153 (पुराने और नए का रचनात्मक टकराव जरूरी): जयदेव तनेजा ने मोहन महर्षि के साथ साक्षात्कार में कहा दृष्ट्रि और व्यवस्था के लिहाज से अलकाज़ी और कारंत ने दो विरीत सीमांतो से विद्यालय को चलाने की कोशिश की फिर भी अंतिम परिणाम प्रायः एक सा ही रहा। मोहन महर्षि के अनुसार दृष्टि और व्यवस्था के लिहाज से अलकाज़ी और कारंत दोनों के बीच का मध्यम मार्ग अपनाना चाहिए। पृ.- 153 (पुराने और नए का रचनात्मक टकराव): जयदेव तनेजा ने मोहन महर्षि के साथ साक्षात्कार में कहा- अलकाज़ी के जमाने में जितने बड़े व श्रेष्ठ प्रदर्शन हुए वैसे बाद में नहीं हुए और इससे स्कूल की छवि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा पृ.- 156 जयदेव तनेजा ने मोहन महर्षि के साथ साक्षात्कार में कहा आपके जमाने में अलकाज़ी ही विधिवत प्रशिक्षित प्राध्यापक थे फिर भी छात्र संतुष्ठ थे आज अनेक प्रशिक्षित प्राध्यापक होने के बावजूद भी छात्र संतुष्ट नहीं। पृ.- 170 (कमी हिन्दी नाटकों की नहीं, योग्य निद्रशकों की हैं): राम गोपाल बजाज के अनुसार सुरेन्द्र वर्मा का ‘कैद-ए-हयात’ अलकाज़ी ने रिजैक्ट कर दिया था। पृ.- 212 अलकाज़ी के सानिध्य से रंजीव कपूर के नाट्य व्यक्तित्व को परिपूर्णता प्राप्त हुई। पृ.- 214 (थियेटर मेरे लिए एक जीवन पद्धति है): रंजीत को अलकाज़ी की ‘लुक बैक इन एंगर’ प्रस्तुति पसन्द आयाी पर अलका जी ने स्वयं को बहुत रिपीट किया। पृ.- 230- 235 (अभिनेता को मार कर रंगमंच जिंदा नहीं रह सकता): मनोहर सिंह के अनुसार वह अलकाज़ी के प्रिय शिष्य रहे। ‘ओथेलो’ की चुनौतीपूण्र भूमिका देखकर वह घबरा गए परन्तु अलकाज़ी ने उन्हें आश्वस्त किया। पृ.- 236 (अभिनेता को मार कर रंगमंच जिंदा नहीं रह सकता): मनोहर सिंह के अनुसार ‘सूय्रमुख’ में अलकाज़ी ने खुद बहुत मेहनत की, उनके साथ बैठ दुबारा लिखवाया मगर फिर भी बात न बन सकी। पृ.- 238 (अभिनेता को मार कर रंगमंच जिंदा नहीं रह सकता): 1972 में रिपर्टरी में कुल आठ कलाकार थे तब अलकाज़ी ने कहा रिपर्टरी को अपने स्वतंत्र प्रोडक्शन शुरू करना चाहिए। पृ.- 290 (अभिनय बहुत टफ प्रोफेशन है): उत्तरा बावकर के अनुसार अलकाज़ी द्वारा निर्देशित संस्कृत नाटक अभिज्ञानशाकुंतलम’ में प्रियम्बदा की भूमिका निभायी और इस माध्यम के प्रति इतनी आकर्षित हुई कि रा.ना.वि. में प्रवेश ले लिया। पृ.- 327, मूल्य- 300/- Director/Actor being documented: इब्राहिम अलकाज़ी
- Newspaper Clippings (18)
Displaying records 1 - 5 of 18. Serial No: 1 Writing Form/Subject: रपट Writer: अजित राय Title: ’प्रोलोग’ से होगी दसवें भारंगम की शुरूआत Newspaper Name: जनसत्ता, नयी दिल्ली Language: हिन्दी Date: 01/01/2008 Source: न.प. Description/Notes: 10वें भारत रंगमहोत्सव के मुख्य अतिथि इब्राहिम अलकाज़ी होंगे। रपट भारंगम पर केन्द्रित। Director/Actor being documented: इब्राहिम अलकाज़ी
Serial No: 2 Writing Form/Subject: रपट Writer: अजित राय Title: स्वर्ण जयन्ती पर नाटककारों को भूल गए आयोजक Newspaper Name: जनसत्ता, नयी दिल्ली Language: हिन्दी Date: 01/04/2008 Source: न.प. Description/Notes: 10वें भारत रंग महोत्सव का शुभारंभ इब्राहिम अलकाज़ी ने किया। लेख उद्घाटन समारोह पर केन्द्रित। Director/Actor being documented: इब्राहिम अलकाज़ी
Serial No: 3 Writing Form/Subject: रपट Title: अलकाज़़ी के संपर्क में आने से थियेटर के प्रति आई गंभीरता: विजया मेहता Newspaper Name: जनसत्ता, नयी दिल्ली Language: हिन्दी Date: 29-04-2007 Source: न.प. Description/Notes: नटरंग प्रतिष्ठान द्वारा आयोजित ’रंग संवाद’ कार्यक्रम में विजया मेहता ने इब्राहिम अलकाज़ी द्वारा किए गये कार्यों को याद किया। Director/Actor being documented: इब्राहिम अलकाज़ी
Serial No: 4 Writing Form/Subject: साक्षात्कार Writer: आलोक पराड़कर Title: मैं कलाओं में विभेद नहीं करता Newspaper Name: हिन्दुस्तान, लखनऊ Language: हिन्दी Date: 16-12-2007 Source: न.प. Description/Notes: अलकाज़ी फाउण्डेशन की ओर से लखनऊ पर आधारित प्रदर्शनी के अवसर पर इब्राहिम अलकाज़ी से बातचीत। Director/Actor being documented: इब्राहिम अलकाज़ी
Serial No: 5 Writing Form/Subject: रपट Title: एशिया का सबसे बड़ा नाट्य महोत्सव तीन जनवरी से Newspaper Name: शाह टाइम्स, नयी दिल्ली Date: 27-12-2007 Source: न.प. Description/Notes: 10वें भारत रंग महोत्सव का उद्घाटन 3 जनवरी को। इब्राहिम अलकाज़ी मुख्य अतिथि होंगे। Director/Actor being documented: इब्राहिम अलकाज़ी
- Periodicals (152)
Displaying records 1 - 5 of 152. Serail No: 1 Writing Form: वक्तव्य Writer: इब्राहिम अलकाज़ी Title: प्रमुख नाटककारों - निर्देशकों के वक्तव्य Journal: अभिनय, अन्तर्देशीय नाट्य पत्र, दिल्ली Language: हिन्दी Date: 1977-78 Source: न.प. / 183 Description/Notes: पृ0 - 52: अलकाज़ी द्वारा भारतीय रंगमंच पर दिया गया वक्तव्य। Director/Actor being documented: इब्राहिम अलकाज़ी
Serail No: 2 Writing Form: साक्षात्कार Writer: इब्राहिम अलकाज़ी Title: प्रसाद के लिए उपयुक्त वक्त आएगा Journal: अभिनय, अन्तर्देशीय नाट्य पत्र, दिल्ली Language: हिन्दी Date: 1981 Source: न.प. / 183 Description/Notes: पृ0-31: अलकाज़ी के साथ साक्षात्कार सत्येन्द्र तनेजा के साथ हुए साक्षात्कार में जयशंकर प्रसाद के नाटकों पर संक्षिप्त चर्चा। Director/Actor being documented: इब्राहिम अलकाज़ी
Serail No: 3 Writing Form: लेख Writer: इब्राहिम अलकाज़ी Title: ब्रेख्त प्रसंग Journal: नटरंग, त्रैमासिक, दिल्ली Language: हिन्दी Date: अक्टूबर, सितम्बर 1968 Volume: 07/01/1900 Source: न.प. / 203 Description/Notes: पृ0-23: नाटक रंगमंच अभिनय पर विचार विमर्श के संदर्भ में बे्रख्त के नाटकों और उनके प्रदर्शन पर चर्चा। Director/Actor being documented: इब्राहिम अलकाज़ी
Serail No: 4 Writing Form: लेख Writer: इब्राहिम अलकाज़ी Title: राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय Journal: नटरंग, त्रैमासिक, दिल्ली Language: हिन्दी Date: जनवरी 1965 Volume: 31/12/1899 Source: न.प. / 202 Description/Notes: पृ0: 39-40: राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय की स्ािापना, पाठ्यक्रम व अन्र्तराष्ट्रीय रंगमंच की परख आदि विषयों पर केन्द्रित लेख। Director/Actor being documented: इब्राहिम अलकाज़ी
Serail No: 5 Writing Form: लेख Writer: इब्राहिम अलकाज़ी Title: विद्यालय की भूमिका Journal: दिनमान, साप्ताहिक, दिल्ली Language: हिन्दी Date: 21-27 मार्च 1976 Source: न.प. / 1887 Description/Notes: पृ0-24: अलकाज़ी ने रंगकर्म में प्रशिक्षण में विद्यालय की भूमिका पर आलेख लिखा। तथा अलकाज़ी निर्देशित नाटकों की तस्वीर। Director/Actor being documented: इब्राहिम अलकाज़ी
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